Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (30)

अलका राहुल की ओर देख कर रोए जा रहीं थी और मन ही मन भगवान से कह रहीं थी .....की प्लीज राहुल को ठीक कर दों। मुझे नहीं पता रश्मि का फैसला क्या होगा.... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूँ कि .... राहुल रश्मि से बहुत प्यार करता है... वो रश्मि को बहुत खुश रखेगा.. और उसी वजह से मैं आज तक खामोश रहीं हूँ...।

वही दूसरी ओर रिषभ और उसके सभी साथी रोहित को वही छोड़ कर चले गए... क्योंकि रंजीत रोहित की तरफ़ था...। कुछ देर बाद रंजीत भी चला गया था।

रोहित उन सबके जाने के बाद... तुरंत हास्पिटल पहुंचा...।

हास्पिटल में रश्मि और उसकी मम्मी बाहर ही बैठे थे। रोहित ने उनसे बात करके राहुल के बारे में जानकारी ली...।

थोड़ी देर में एक डाक्टर बाहर आया.... रोहित दौड़ कर डाक्टर के पास आया और कहा:- क्या बात है डाक्टर...! राहुल ठीक तो हैं ना...?

डाक्टर:- देखिए हम अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहे हैं पर अभी कुछ भी कहना मुश्किल हैं... खून बहुत ज्यादा बह चुका हैं...। आप तुरंत ये दवाईयां ले आइये....। डाक्टर ने एक पेपर रोहित को थमाते हुए कहा...।

रोहित पेपर लेकर दवाई लेने चला गया....। थोड़ी देर में अलका को भी एक अलग कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। उसमें बहुत कमजोरी आ गई थी ....इसलिए उसे ग्लुकोज की बोतल चढ़ाई गई थी..। एक नर्स उसकी देखरेख के लिए उसी कमरे में थीं....।

वही दूसरी ओर रंजीत ने अपने पद के दम पर रिषभ , उसके साथियों और मोहन के ऊपर झूठा केस बनवा कर उन्हें जेल मे भेज दिया था...।

रंजीत जेल में रिषभ से मिलने गया...।

रंजीत-कैसै हो रिषभ?

तुने ठीक नहीं किया रंजीत... तु मुझे जानता नहीं हैं..।

तुझे तो अब मैं बहुत अच्छे से जान गया हूँ रिषभ...  वक़्त पड़ने पर तु तो अपने बाप को भी बेच खाए.... फिर मैं तो क्या ही हूँ। मैने उस लड़ाई में देख लिया था तुझे अच्छे से...। मेरी दोस्ती अच्छी.... दुश्मनी उससे भी अच्छी.....। अब सड़ते रहो जिंदगी भर इस काल कोठरी में.... लगा लो जितना जोर लगा सकते हो... ऐसे ऐसे केस लगाए हैं... तेरी पूरी उम्र निकल जाएगी.. इन सबसे निकलने में...।

रंजीत तु अपने पद के जोर पर इतना उछल रहा हैं ना... वरना मुझे गलत बोलता है... तो तु कौनसा दूध का धुला हुआ है...। अगर मैं अपने बाप को बेच सकता हूँ तो तु तो अपनी बहन के साथ भी********* ।

रंजीत चिल्लाते हुए:- बस रिषभ इतना भी गिरा हुआ नहीं हूँ मैं....। सच कहूं तो आज तक तेरे जैसे लोगो की वजह से मैं ऐसा हो गया था.... पर अब नहीं..... अब मैं तुझे उस रश्मि का बाल भी बांका नहीं करने दूंगा....। उसी को देखकर और तेरे इस तरहा मुझे मरने के लिए छोड़ देने पर..... आज मेरी आंखें खुली हैं..... सही और गलत की समझ आई हैं....। अब ये रंजीत वो नहीं रहा जिसे तु जानता था...।

रिषभ अचानक से पलटते हुए :- रंजीत उस वक़्त हालात ही ऐसे हो गए थे यार....। जो हुआ उसे भूल जा और प्लीज मुझे यहाँ से बाहर निकाल..। प्लीज यार जैसे तु भटका हुआ था मैं भी भटक गया था....। और मुझे रश्मि से कोई लेना देना नहीं है यार..... मुझे तो बस रोहित से प्रोप्रटी के कागजात चाहिए...।

मुझे अब तुझपर इतना सा भी भरोसा नहीं है रिषभ....।

तु मुझे जो बोले मैं वो करने के लिए तैयार हूँ जिससे तुझे विश्वास हो जाए....।

ठीक हैं..... बस मुझे इतना यकीन दिला दे कि तु अब रश्मि या फिर किसी भी और लड़की की जिंदगी खराब नहीं करेगा...।

मैं वादा करता हूँ तुझसे... रंजीत...। मुझे किसी लड़की से कोई सरोकार नहीं है.... मुझे बस मेरे भाई रोहित से वो कागजात चाहिए...।

ठीक है.  .. मैं बात करता हूँ पहले रोहित से.  उसके बाद सोचता हूँ....।

ऐसा कहकर रंजीत वहाँ से चला गया....।

वही दूसरी ओर रश्मि अलका के पास बैठीं थीं... । रोहित भी दवाईयां लाकर डाक्टर को देता हैं.... और अलका के पास आकर कहता हैं :- अब कैसा महसुस हो रहा हैं अलका....?

अलका मस्ती करते हुए :- सुकून मिल रहा है की मैं मुश्किल से ही सही किसी के काम तो आ पाई.....वरना खून तो बहुत दूर की बात है... मैं किसी को अपना सिर का एक बाल भी ना दूं...।

अलका की ये बात सुनकर रश्मि और रोहित के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई...।

अलका तु कभी नहीं सुधरेगी.... ऐसी हालत में थोड़ा तो सिरियस हो जा...।

मेरी जान अगर मैं सिरियस हो गई तो सीधा ऊपर का टिकट कट जाएगा मेरा....।

रश्मि ने अलका के होठों पर अपना हाथ रखा और कहा :- ऐसी बात दुबारा कभी मत करना समझी...। अगर तुझे कुछ हो गया तो मैं भी नहीं जी पाऊंगी....।

यार तुम दोनों ने तो शोले के जय और वीरु को भी पीछे छोड़ दिया दोस्ती के मामले में...।

रोहित की बात सुन तीनो हंसने लगे...।

तीनों के हंसने की आवाज सुन रश्मि की मम्मी भी अंदर आई जो बाहर बरामदे में बेंच पर सोई हुई थी.... और बोली:- ऊपरवाला महर करे तुम सब ऐसे ही हमेशा हंसते रहो।

रोहित उनके पास गया और उनको सहारा देते हुए बैड के पास लाया ओर कहा- आइये यहाँ बैठिये पहले...आंटी आप क्यूं.... उठ गई.... आराम करते ना..।

आराम तो अब तभी मिलेगा बेटा जब राहुल ठीक हो जाएगा...।

राहुल का नाम सुनते ही अलका की आंखों से आंसू बहनें लगे....। वो अपने आंसू छुपा रहीं थी.... लेकिन रश्मि ने उसे देख लिया था.....पर वो कुछ बोली नहीं.... उसने ऐसा जताया जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं हो...और  मन ही मन सोचने लगीं कुछ तो बात हैं.....जो अलका मुझसे छुपा रहीं हैं....। पर क्या हो सकती है...। मुझे रोहित सर से बात करनी चाहिए.. हो सकता है शायद उनकों कुछ पता हो...। क्या पता जब मैं दिल्ली में थी तब उनसे अलका ने कोई बात की हो..?

वो सभी वहाँ बैठे बातें कर रहे थे... पर अलका का ध्यान अभी भी बस राहुल की तरफ़ ही था..।

थोड़ी देर में रोहित ने सबके लिए खाना मंगवाया...। सबने खाना खाया...।
अलका भी आंखें बंद करके लेटी हुई थी..। रश्मि की मम्मी भी पास ही लेट गई थीं....।

रश्मि ने मौका देखकर रोहित का हाथ पकड़ कर कहा:- सर बाहर आइये मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी हैं...।

रश्मि के इस तरह अचानक हाथ पकड़ने और बाहर भुलाने की बात से रोहित आश्चर्य में पड़ गया...। वो समझ ही नहीं पा रहा था कि रश्मि ने उसे छुआ है...। उसका तो मानो पल वही ठहर गया हो... । रश्मि ने कहा :- क्या हुआ सर....! चलिए...।

हां हां.... चलो..।

रोहित रश्मि के साथ बाहर बरामदे में आया और कहा :- हां बोलो क्या बात हैं...।

सर मुझे प्लीज सच सच बताइयेगा...।

हां बोलो रश्मि...। मैं तुमसे झूठ क्यूँ....बोलुंगा...।

सर क्या.....

रोहित ने बीच में टोकते हुए कहा :- एक मिनट रश्मि.... मैं तुमसे कोई भी बात तभी करूंगा जब तुम ये सर को भूल जाओगी... वरना आई एम सॉरी...।

ठीक है सर.... मेरा मतलब है रोहित सर...

सिर्फ रोहित.... मेरा नाम इतना भी बुरा नहीं लगता रश्मि... ।

रश्मि थोड़ा गुस्सा होते हुए -: ओके रोहित....  अभी ठीक है...।

रोहित मुस्कुराते हुए- हां अब ठीक है.... वैसे तुम चाहो तो थोड़ा प्यार से भी बोल सकतीं हो पर ऐसे भी चलेगा...।

रश्मि के चेहरे पर भी हल्की सी मुस्कान आ गई.... वो बोली- अभी मैं जिस वजह से आपको यहाँ लाई हूँ उस बारे में बात करूँ..।

रोहित - हां हां क्यू नहीं... बोलो.. ।

रोहित क्या दिल्ली में तुम्हारी अलका से राहुल को लेकर कोई भी बात हुई थी....?

रोहित चौकंते हुए...... दिल्ली.....???

रोहित चौंकने वाली बात नहीं है... मुझे सब पता है...।

व्हाट...  इसका मतलब तुम्हें सब याद आ गया है..??

रश्मि- नहीं रोहित..... मैनें सिर्फ राहुल और अलका की बातें सुनी थी.... जब अलका राहुल को कार में सब बता रहीं थी... मुझे खुद से अभी भी कुछ याद नहीं है...। खैर वो बात छोड़ो अभी मुझे बस इतना बताओ.... क्या अलका ने कभी भी राहुल को लेकर कुछ बात की थीं...?

नहीं कुछ खास नही बस इतना ही कि तुम तीनों बचपन के दोस्त हो...। पर क्युं क्या बात है... तुम ऐसे क्युं पुछ रहीं हो..?

रोहित पता नहीं क्यूँ....पर मुझे लगता है की अलका मुझसे कुछ छुपा रहीं हैं... वो राहुल को लेकर कुछ ज्यादा ही टेंशन कर रहीं हैं....मंदिर में भी शायद उसके लिए ही रो रहीं थी...मैनें इस तरह उसे कभी रोते हुए नहीं देखा हैं....मैने पुछा भी पर शायद मेरी तबियत ठीक नहीं हैं.... इसलिए उसने कुछ बताया नहीं...।

बस इतनी सी बात...। तुम टेंशन मत लो..। मैं अलका से बात करता हूँ...।अभी अंदर चलो और तुम भी थोड़ा आराम कर लो....।

रश्मि  रोहित से हाथ मिलाकर थैंक्स कहकर  अलका के पास चलीं गई....।

रोहित कुछ पल वही खड़े होकर सोचने लगा... अलका के दिल में क्या हैं....ये तो मैं पता कर लुंगा... पर मेरे दिल में क्या हैं...ये तुम्हें कैसे बता पाऊंगा रश्मि....। काश तुम मेरा भी दिल पढ़ लो... ओर समझ जाओ की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ....। आइ लव यू रश्मि..... आइ लव यू..... ❤

क्रमशः.....................

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